सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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झम-झम सावन,
बरसे आँगन
हर्षित चेतन,
सुरभित उपवन।
प्रभु का शासन,
कितना पावन
पानी छन-छन,
सुख सम्मोहन।
झूलें सब जन,
करते गायन
बादल गर्जन,
उर में कम्पन।
हैं मोर मगन,
करते नर्तन
पुलकित जीवन,
हो परिवर्तन।
शोभित यौवन,
लज्जित आनन
अलकें मादन,
आए साजन।
लिपटा तन-मन,
है मौन बयन।
अंतर का धन,
मेरा अवलम्बन॥