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दिन सलोने बचपन के…

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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उम्र के इस मोड़ पर आज जब पीछे मुड़ कर मैं देखता हूँ,
बचपन की सुहानी यादों के पंछियों को चहकता पाता हूँ।

कितनी-कितनी यादों के पंछी जम आए मन की टहनी पर,
कैसे-कैसे फुदक रहे हैं देखो मन के गलियारों में इधर-उधर।

वो मामा का गाँव सुहाना, वहाँ प्यारी-प्यारी सी नानी थी,
बड़े जतन-प्यार से खिलाया करती, वो बस मेरी दिवानी थी।

बड़े दुलारते मामा-मामियाँ, दही, दूध मक्खन खिलाती थी,
चुन-चुनकर निकाले मीठे आमों का मौसी रस पिलाती थी।

हम सब बच्चों की बड़ी टोली थी बस हुड़दंग और शरारतें थी,
कभी पेड़ों पर लुका-छिपी तो कभी नौका तालाब में तैराती थी।

अमराइयों में तो मत पूछो कैसी हमारी मस्ती करती बारातें थी,
कोयलिया छिप-छिपकर कुहू-कुहू करती, उन्हें खोजने की मुरादें थी।

निकल जाते थे हम बच्चे गौ चराने खेत-खेत, जंगल-जंगल,
दिनभर जंगल में मटर-गश्तियाँ बड़ी लगती थी मंगल-मंगल।

गाय-बकरियों के मस्ताने बछ्ड़ों से दिनभर चलता रहता दंगल,
कहाँ और कब दिन ढल जाता था, बहुत प्यारा था मंगल-मंगल।

लगता था ये गर्मी की छुट्टियाँ कभी न होनी चाहिए खत्म,
बड़े रंगा-रंग दिन ढलते थे, वो दिन लगते थे जैसे चमकते रत्न।

इंद्रधनुषी उन स्वर्णिम यादों की आज जब बिजलियाँ कड़कती है,
दिल लौटने की जिद करता बचपन में, ऐसी स्मृतियाँ धड़-धड़कती है॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।