सोनीपत (हरियाणा)।
सदसाहित्य हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार द्वारा २१९वीं दीपावली पर्व विशेष साप्ताहिक काव्य गोष्ठी आभासी रूप से आयोजित की गई। इसमें सृजनकारों ने शब्दों को दीप और भावनाओं को ज्योति बनाकर संध्या को खूब शोभायमान किया।
संस्था की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि काव्य संध्या में पंच दिवसीय दीपोत्सव महापर्व को समर्पित काव्य रचनाओं के आयोजन में विभिन्न प्रांतों से साहित्यकार जुड़े। पवनेश मिश्र के मंच संचालन में इस कार्यक्रम का शुभारंभ नागपुर से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा संगीतमय गुरु वंदना, गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना से किया गया। अध्यक्षता विद्वान पं. अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’
(वाराणसी) ने की। मुख्य आतिथ्य का पदभार प्रतापगढ़ से किरण अग्रवाल ने सम्हाला। इसमें विशेष रूप से सहभागिता देते हुए संस्कार न्यूज के प्रधान संपादक विजय कुमार शर्मा ने आशु काव्य सृजन शैली से परिवेश को आनंद और उत्साह से भर दिया।
सांस्कृतिक मूल्यों पर गंभीर चिंतन के साथ मर्यादित हास्य बोध से सजी काव्य रचनाओं की अनूठी शाम की आनंद सरिता में उत्साह की स्वरलहरियाँ निरंतर अठखेलियाँ करतीं रहीं, जिनमें गोते लगाते हुए स्वर साधक साहित्यकारों ने अपने अनुभव कोश में अनुपम शब्द व्यंजनाओं को संरक्षित किया। पहली प्रस्तुति देहरादून से हेमचंद्र सकलानी ने ‘कितना सुंदर है दीपों का त्यौहार हमारा’ काव्य के रूप में दी। उत्तरकाशी से डॉ. अंजू सेमवाल ने ‘दीपावली दीपों का त्यौहार’ सृजन से मनहर शुभकामनाएं प्रेषित कीं, रायगढ़ से अमित पण्डा ‘अमिट रोशनाई’ ने ‘चलो फिर दीपक जलाएं दिल से दिल को रोशनी दें’ सुनाते हुए करुणा के भावों को जागृत किया तो जखौली से संस्थापक राधा श्रीशर्मा ने ‘एक दीप जलाऊं ऐसा, जग तिमिर नाश जो कर दे, तमस मिटा अज्ञान का मन ज्ञान प्रकाश जो भर दे’ काव्य से अंधकार को दूर करने की अनुशंसा की। ऐसे ही पवनेश मिश्र ने दीप रूप में ईश्वर की वन्दना करते हुए ‘दीपों में हरि मुस्काएगा’ शीर्षक युक्त रचना का काव्य पाठ करते हुए कहा ‘पता नहीं किस छवि में आकर हरि तुमको मिल जाएगा, दीप में मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा।’
सैन्य साहित्यकार भगवान दास शर्मा प्रशांत, दिनेश दुबे, सुजीत कुमार पाण्डेय, संपत्ति चौरे स्वाति, डॉ. श्याम बिहारी मिश्र, श्री डांगे, ज्योति प्यासी, सुनील कुमार खुराना, पण्डित विजय कुमार शर्मा, किरण अग्रवाल, पण्डित अवधेश प्रसाद आदि ने भी शब्दों के दीपों द्वारा संध्या को सफल बनाया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में पं. ‘मधुप’ ने सभी रचनाओं और रचनाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि काव्य सृजन में सांस्कृतिक मूल्यों और गरिमामय अभिव्यक्ति के साथ सत्य को सत्य के रूप में स्वीकार किया जाना अनिवार्य है। मुख्य अतिथि किरण अग्रवाल ने ऐसे सामाजिक चेतना और सनातन संस्कारों के आयोजन अधिक से अधिक किए जाने की अनुशंसा की।
दीदी राधाश्री शर्मा ने दीपोत्सव पर्व पर सभी को मंगलकामनाएं देते सभी का आभार प्रकट किया।