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दो जून की रोटी

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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जिन्दगी में बहुत मेहनत के बाद,
कमाई है,दो जून रोटी।

अपना स्वेद बहाया और बड़ी,
लगन से पाई है,दो जून रोटी।

श्रम से झिलमिलाए हैं स्वेद विन्दु,
तब खाई है,दो जून रोटी।

बेकसूर होकर भी डाँट खाई है,
तब थाली में आई है,दो जून रोटी।

मजदूरी और मजबूरी में खपाई है,
जिन्दगी मुश्किल से आई है,दो जून रोटी।

तपती दुपहरी में भी तोड़ कर पत्थर,
कमाई है,दो जून रोटी।

बारिशों के थपेड़ों में हाड़ कंपाती सर्दी
में भी तलाशी है,दो जून रोटी।

बड़ा महंगा सौदा है ‘दामिनी’,
दो जून रोटी,

ताउम्र चिन्ता सताती है,
कहीं छूट न जाए,यह दो जून रोटी।

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।