सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)…
नारी महकती बगिया आँगन,
नारी से है व्रत त्योहार
नारी मस्तक का ताज श्रृंगार,
नारी रहित बेरंग संसार
क्योंकि नारी है नारायणी…।
नारी रूप माँ-बहन-सुता-वधू,
नारी मूर्त निःस्वार्थ समर्पण प्रेम सुख-सुकून ममता भरी गोद,
है अति दुर्लभ यह सुख-सम्मान क्योंकि नारी है नारायणी…।
नारी दुर्गा सिया सावित्री,
सती, तुलसी, द्रौपदी, अहिल्या
उग्र दुष्ट नाश भवानी काली,
नारी शक्ति त्रिलोकी मंगला
क्योंकि नारी है नारायणी…।
नारी वात्सल्य की प्रति मूर्ति,
नारी प्रेम है सर्वत्र व्याप्त
नारी प्रतिष्ठा दो कुल महान,
नारी बिना ना घर आबाद
क्योंकि नारी है नारायणी…।
आज भी कई दुर्योधन-शकुनि,
पासा पलटे, छलने बैठे
आज भी भेष बदल इंद्र रावण,
कु-दृष्टि दे भरमाने बैठे
क्योंकि नारी है नारायणी…।
नारी प्यारी है अति न्यारी,
नारी संचार नभ-जमीं सारी
हे कल्याणी! ध्यान है देना,
लक्ष्मण रेखा पार न करना
क्योंकि नारी है नारायणी…।
आओ आज हम दृढ़ संकल्प लें,
नारी ईमान गरिमा दिलाने
क्रोध, अहम, घृणा को त्यागें।
अग्र बन ढाल मनोबल बढ़ाएं,
क्योंकि नारी है नारायणी…॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।