कुल पृष्ठ दर्शन : 144

You are currently viewing नैतिक मूल्यों का अनुसरण ही सच्ची श्रद्धांजलि

नैतिक मूल्यों का अनुसरण ही सच्ची श्रद्धांजलि

शशि दीपक कपूर
मुंबई (महाराष्ट्र)
*************************************

मेरी सेना के योद्धा (केंद्र- जनरल बिपिन रावत)

८ दिसंबर २०२१ के हादसे ने कई गहरे घाव जागृत कर दिए‌। हमारे देश के नवनिर्माण में बाधाएं हमेशा से ही आती रहीं हैं और हम देशवासियों को राजनीति को अखाड़े में दो पक्षों को लड़ते हुए देखना ही अधिक पसंद है। यदि देश की जनता वफादार !…केवल अपने देश के लिए ही बन जाए तो क्या मजाल है कि किसी शत्रु की हिम्मत पलट कर देखने की हो जाए। आखिर कब तक हमारा देश वीर सपूतों को इस तरह मृत होते देख सकता है ?
आज देशवासियों को अपना-अपना आत्मनिरीक्षण करने बेहद आवश्यकता है। राजनीतिक दलों के दलदल से निकलकर देश के लिए स्वयं ही नैतिक मूल्यों का पालन करने की क्षमता रखने का जज्बा अत्यधिक महत्वपूर्ण है। धन तो देशवासी कठोर परिश्रम से भी अर्जित कर सकते हैं,मगर देश को पुनः मझधार में छोड़ अपने-अपने स्वार्थ में जुटे रहना तो देशवासियों का धर्म नहीं कहलाया जा सकता। कुछ जयचंद तो हमारे इतिहास में पहले से दर्ज हैं और आज भी देश में ऐसे जयचंद कहीं न कहीं मौजूद ही होंगे।
लोकतंत्र व्यवस्था में प्रत्येक नागरिक का भी कर्तव्य है कि,वह जागरूक रहकर नैतिकता के दायरे में अपने जीवन संघर्षों के बीच एक श्रेष्ठ नागरिक पहले बनें। श्रेष्ठ नागरिक कभी अपने देश में जयचंद नहीं उत्पन्न होने देता। स्वतंत्रता के मायने केवल सड़कों पर झंडे व मंच पर एक दल का दूसरे दल पर छींटाकशी देना,अराजकता का साथ देना,जघन्य अपराध करना या अपनी-अपनी तस्वीर समाचार पत्रों-टी.वी.में देखना और अत्यधिक सुविधाएं प्राप्त कर अपना जीवनयापन करना वगैरह तो सभ्य देशभक्त नागरिक की सोच पर निर्भर करता है। लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक का परोक्ष- अपरोक्ष दायित्व होता है,किन्तु इस संबंध में हमारे देश के नागरिक नैतिक मूल्यों के खजाने को भूल चुके हैं।
सच,आज यदि देश का प्रत्येक नागरिक अपने नैतिक मूल्यों का अनुसरण करे तो हमारा देश इस धरती का स्वर्ग ही कहलाएगा। यही हमारी देश के वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Leave a Reply