डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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रह रहकर अतीत को देती हैं दस्तकें,
अलमारी में कैद ये उनींदी-सी पुस्तकें।
कुछ सोए से हैं पन्ने कुछ रोये से हैं पन्ने,
न जाने किसकी याद में खोई हैं पुस्तकें।
हर शब्द में छुपा कोई न कोई किस्सा,
कितने अफसानों को समेटे है पुस्तकें।
हाशिये पर भी किसी का नाम लिखा है,
याद कर-कर उसे मुस्कातीं हैं पुस्तकें।
कितने सुखद स्पर्शों की स्मृतियाँ शेष हैं,
हर याद को कलेजे से लगाती हैं पुस्तकें।
आई हँसी कभी तो रोये भी छुपकर,
दिल का हर एक राज छुपाती हैं पुस्तकें।
वो दौर भी और था जो काँटा गुलाब था,
अब पँखुड़ी सँग अश्क़ बहाती हैं पुस्तकें॥
परिचय– डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।