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प्रेम से भरा हमसफ़र हो

कल्याण सिंह राजपूत ‘केसर’
देवास (मध्यप्रदेश)
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ज़िंदगी की हर शाम सकून से भरी झील-सी हो,
निश्छल प्रेम से भरा सागर सा, हमसफ़र हो।

छल कपट रहित,त्याग,
समर्पण से पूर्ण, सच्चा हमसफ़र हो,
मस्ती भरी आनंदित और प्रसन्नता देने वाली हर शाम उसी के नाम हो।

परिवार का साथ हो, सबमें विश्वास हो,
बस यही ज़िंदगी का आधार हो।

जो साथ है और पास है, वही पर्याप्त हो,
अनावश्यक न अपेक्षा, न ही अंधविश्वास हो।

ज़िंदगी की डगर इतनी कठिन भी नहीं, कि चल न सको,
‘केसर’ बस सभी में थोड़ा धैर्य, आत्म विश्वास हो॥