डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’
बांदीकुई (राजस्थान)
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१५ अगस्त विशेष…
पंद्रह अगस्त का दिवस, आजादी का पर्व।
आज सभी हैं कर रहे, बलिदानों पर गर्व॥
भारत वसुधा के लिए, त्याग दिए सुख-चैन।
आजादी की राह में, लगे रहे दिन रैन॥
देशभक्ति की आन पर, छोड दिए घर द्वार।
आजादी के यज्ञ में, आहुति को तैयार॥
ऐसे हर इक वीर का, करते हम गुणगान।
जिसने हँस करके दिया, प्राणों का बलिदान॥
आजाद भगत सिंह से, वीरों ने दी जान।
राजगुरू सुखदेव भी, हुए यहाँ बलिदान॥
बलिदानों की भूमि यह, इस पर है अभिमान।
पुण्य धरा है हिंद की, हमको यह वरदान॥
आजादी हमको मिली, कुर्बानी के बाद।
भूल गए हम नींव को, कंगूरे हैं याद॥
त्याग और बलिदान ही, आजादी का मोल।
आज इसी की आड़ में, बोलें बिगड़े बोल॥
भूल गए कर्त्तव्य को, याद रहे अधिकार।
आजादी के मोल को, समझ रहे व्यापार॥
आजादी के ही लिए, कितनों ने दी जान।
कितनी झेली यातना, रखी देश की आन॥
सीमा प्रहरी देश के, रहते सीना तान।
करते रक्षा देश की, हमको उन पर मान॥
परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’