अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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रक्षाबंधन
भाई-बहन पर्व
सजी कलाई।
प्रेम-सुरक्षा
समझो नहीं धागा
रिश्ता मन का।
तुम्हारी राखी
होती आशीष भरी
मेरी बहना।
हर धागे में
है अनमोल प्रेम
भाई बहन।
है कच्चा सूत
बंधे जो इक बार
है मजबूत।
हो जो बहना
अनुबंध अनोखा
रिश्ता गहना।
बिन बहन
कलाई होती सूनी
समझो मान।
पर्व प्रतीक्षा
पूजे अपना भाई
निभाती रिश्ता।
बहनें लेती
सदा बलैया मेरी
देती दुआएँ।
मांगें वचन
मदद करें भाई
रखना मान।
द्रौपदी चीर
कान्हा लाज बचाई
हर ली पीर॥