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बहुत गड़बड़ झाला है

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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चाइना ने बनाया है इस ‘कोरोना’ को,
छोड़ दिया सारी दुनिया को रोने को
शैतान हँसता,मुँह पर पड़ा ताला है,
भोला ‘देवेश’ पूछता-क्या गड़बड़ झाला है…।

हम इठलाए जीत इसकी पहली लहर,
दूसरी-तीसरी..ना जाने कितना है कहर
जाने ये कैसी मुसीबत में हमें डाला है,
घबराया देवेश कहे-बहुत गड़बड़ झाला है…।

लालचियों की देखिए मति गई मारी,
प्रलय में करते जमाखोरी-कालाबाजारी
मानवता के दुश्मनों का,मुँह काला है,
रोता देवेश कहे-तौबा गड़बड़ झाला है…।

जानते हैं सब,दो गज की दूरी रखिए,
मास्क लगाएं,सेनेटाइज करते रहिए
मानें ना दिमाग का दिवाला निकाला है,
सिर पकड़ देवेश कहे-सब गड़बड़ झाला है…।

महामारी से आदमी गया है अब टूट,
लगता प्रभु जी! हम सबसे गए रूठ।
तभी तो हमको क्यूं नहीं सम्भाला है,
गुहार देवेश कि-बचाओ गड़बड़ झाला है…॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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