डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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बिटिया रानी बड़ी सयानी,
आँखों में क्यों उसके पानी।
पापा की ये राज दुलारी,
क्यों रोती है बिटिया प्यारी।
अच्छे कपड़े, चप्पल अच्छी,
तू कितनी प्यारी-सी बच्ची।
नानी के घर बस चलना है,
नहीं उसे कुछ सुनना है l
मांगें पूरी जब होना है,
रोना बंद तभी होना है।
हीरे-मोती की लड़ियों जैसी,
बेटी होती है परियों जैसी।
सपने सुखद सलोने जैसा,
‘शाहीन’ है बचपन सोने जैसा॥