दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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मेरा बेटा मेरी शान,
बेटी है मेरा अभिमान
माता-पिता को दोनों प्यारे,
बेटा-बेटी एक समान।
बेटा होता है कुलदीपक,
बेटी है लक्ष्मी की मूरत
माता-पिता की आँख के तारे,
बेटा-बेटी एक समान।
बेटा है सपनों की आस,
बेटी से मन में विश्वास
दोनों होते घर की रौनक,
बेटा-बेटी एक समान।
बेटा ठिठुरन में हल्की धूप,
बेटी जीवन का मधुर संगीत।
मातृत्व का सुख देते दोनों,
बेटा-बेटी एक समान॥
