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भावों का समन्दर

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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कोरे कागज पर अपनी,
भावनाओं को लिख डालिए
बिखरे हुए जज्बातों को,
एक लफ्ज़ में कह डालिए।

बड़ा गहरा होता है,
भावों का समन्दर
दिल के अरमानों को,
आँखों से बह जाने दीजिए।

घुट-घुट कर जीना,
जज्बातों को खोना है
इसलिए अपनों के बीच,
दर्द-ए-इश्क़ बयां कीजिए।

जिंदगी तो बस यूँ ही,
तन्हा-तन्हा गुज़र जाएगी
ना रहे गमों का आलम,
हर लम्हा महका कीजिए।

अपने हैं, तो सुनहरे सपने हैं,
दो पल साथ में बैठिए।
बह जाने दो मर्म के आँसू,
मन हल्का कर लीजिए॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।