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मधुर मिलन

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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मधुर मिलन का शुभ दिन आया
नव किसलय उपवन मुस्काया,
धरा गगन का क्षितिज मिलन यह
मुग्ध नयन किस पथ से आया।

मृदु सुकुमार हृदय के सपने
सुधि से सुरभित किसी के
अपने,
मुग्ध पवन तू ले चल उस पथ धरा गगन जहाँ लगे हैं मिलने।

शत वल्लरियाँ नत मस्तक हैं
पुष्पों पर मधुकर गुंजन है,
इन्द्रधनुष चितवन के ये रंग
तन दीपित मृदु अंग-अंग है।

विमल मदन का मद सरसाए,
मधुकर मंद-मंद मुस्काए।
यौवन का करने अभिनंदन,
मधुरस की बूँदें छलकाए॥