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महसूस करती है वो

कल्याण सिंह राजपूत ‘केसर’
देवास (मध्यप्रदेश)
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चाँद-सितारों में तो,
कभी नीले गगन के
बादलों में निहारती है वो मुझे
तो परिंदों की तरह,
कभी घर की छत पर
बुलाती है वो मुझे।

कभी भीड़ में तो,
कभी तन्हाइयों में
ढूंढती हैं वो मुझे
कभी खुद की धड़कनों में,
महसूस करती है वो मुझे।

मदमस्त खुशबू बनकर,
मेरे तन-मन को
स्पर्श करती है वो मुझे
पल-पल हर पल,
मुझे ऐसे ही साथ रहने का
एहसास कराती है वो मुझे।

चाँदनी-सी शीतलता और
फूलों से कोमलता
का अहसास छूकर कराती है
कभी वो मुझे ‘केसर’॥