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माँ मेरे ही दिल में

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) …

माँ के ममत्व की छाँव में,
माँ की लोरियों के गान में
माँ के दिए संस्कारों संग,
जाने कब हम बड़े हो गए!

बच्चों का भविष्य संवारती,
ओजस्वी सरल अनूठी माँ
परिवार के सदस्यों को,
जोड़ने का सूत्र बन जाती माँ।

रोज सुबह खुद जग जाती,
स्नेह दुलार से हमें जगाती
तन-मन से वो फिर जुट जाती,
क्रमबद्ध कामों को निपटाती।

कभी-कभी खूब डाँटती,
अगले ही पल गले लगाती
बच्चों से मैत्री करने की,
साँकल बन जाती है माँ।

परेशानी में भी वो मुस्कुराती,
हर कष्ट स्वयं सहज सह लेती
सबकी खुशियों में शामिल हो,
अपने गमों को भूल जाती माँ।

‘भूख लगी’ इतना कहने पर,
थकान अपनी भूल जाती
झट-पट स्वादिष्ट पकवान बना,
बहुत प्रेम से खिलाती माँ।

सखी बनी शिक्षिका बनी,
पाया उनसे ही सद्ज्ञान
सत्कर्मों की सीख से ही,
पाते आज यश सम्मान।

माँ सा कोई नहीं जग में,
ये है बड़ी अनमोल कृति।
मैं हूँ अपनी माँ के दिल में,
माँ मेरे दिल में ही रहती॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

 

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