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मानवता की ओर कदम कब ?

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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आज बहुत दिनों बाद,
जब किसी अपने को याद किया
उनसे बात किया,
तो वह सारी पुरानी यादें
एकाएक आँखों से सामने,
संजीदा हो गई
वो एक-दूसरे के
सुख-दु:ख में साथ देना,
वो बचपन से लेकर जवानी तक
एक-दूसरे के घर आना-जाना,
कुशल-क्षेम पूछना।

महफ़िल की जान बनकर,
मौज-मस्ती में दिन बिताना
फिर प्रौढ़ावस्था में सुबह-शाम,
एकसाथ सैर पर जाते हुए
गली-मोहल्ले के लोगों की,
खैरियत पूछना, मदद करते रहना,
पर अचानक वृद्धावस्था में
एक-दूसरे से बहुत दूर चले जाना,
एक फोन तक नहीं करना
खून का रिश्ता होकर भी,
अनजान बने रहना।

सिर्फ दु:ख ही नहीं,
धिक्कार हैं ऐसे रिश्तों पर
जो मतलब के लिए रिश्तेदारी
निभाते हैं, झूठा दर्द जताते हैं,
क्या हो गया है हमारी सोच को ?
कब हम मनुष्य से मानवता,
की ओर कदम उठाएंगे…?

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।