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मित्रता-एक आत्मीय सम्बन्ध

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’
राजकोट (गुजरात)
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संसार में एक ही रिश्ता ऐसा होता है,जिसका चयन व्यक्ति खुद करता है,बाकी सब रिश्ते तो पहले से ही निश्चित होते हैं। माँ,पिता,भाई,बहन,चाचा,मामा… सब रिश्ते जन्म के साथ ही निर्धारित होते हैं,बस मित्रता ही एक ऐसा इकलौता रिश्ता है जिसका चयन व्यक्ति खुद मर्जी से कर सकता है,मतलब यह जबरदस्ती नहीं थोपा गया होता है। मित्रता में कोई नियम नहीं होते,बिन शर्त होते हैं। फ़िर भी सच्ची मित्रता में बिना किसी बंधन मित्र अपने मित्र से जुड़े हुए होते हैं। हमें लड़ना हो,झगड़ना हो,रोना हो, गुस्सा निकालना हो..सबके लिए एक-दूसरे हेतु तैयार रहते हैं।
एक इसी रिश्ते में व्यक्ति बिना मुखौटे के जीता है।
एक सच्चा मित्र हमेशा अपने दोस्त को अवगुणों और कुसंगति से दूर रहने की प्रेरणा देता है। सच्चा मित्र कभी भी मित्रता में छल-कपट नहीं करता है। सच्चा मित्र मित्र के दुःख में दुखी और सुख में सुखी होता है। सच्चा मित्र हमेशा अपने मित्र के दु:ख में अपने दु:ख को भी भूल जाता है।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए कई प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और हर परिस्थिति में एक व्यक्ति जो आपके साथ खड़ा रहता है,वही सच्चा मित्र कहलाता है। जिससे आप दिल की हर बात साझा कर सकते हैं,और ऐसी परिस्थितियों में मित्र आपके उत्साह और जोश को बढ़ाकर कार्य को पूरा करने में मदद करता है।
जीवन में हर किसी व्यक्ति के कई सारे मित्र होते हैं। हर व्यक्ति के एक या दो मित्र होने जरूरी हैं,ताकि व्यक्ति कई प्रकार के तनाव जैसे मामलों में दिल की बात मित्रों से साझा करके मन को हल्का कर सके।
जीवन को बेहतर और सुखद बनाने के लिए अनेक प्रकार की वस्तुओं और व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है,लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति मित्र होता है। मित्र की प्राप्ति होने के पश्चात जीवन बेहद सुखदायी बन जाता है।
एक सच्चे मित्र के साथ हर प्रकार की बात साझा की जा सकती है। मित्र वह व्यक्ति है,जो बिना किसी स्वार्थ के जरूरत पड़ने पर हमेशा सहायता करने के लिए तत्पर हो। मित्रता उन्हीं लोगों के बीच लंबे समय तक रहती है,जो बिना स्वार्थ के एक-दूसरे की सहायता करते हैं,साथ ही किसी भी परिस्थिति में उचित सलाह देने वाला ही सच्चा मित्र होता है। इस दुनिया में हजारों प्रकार के मित्र मिल जाएंगे,लेकिन सच्चे मित्र को ढूंढना काफी मुश्किल है।
सच्ची मित्रता एक प्रकार का रिश्ता है,जिसका मतलब २ लोगों के बीच मित्र की भावना होना है। मित्र का मतलब यह नहीं है कि,दोनों साथ में रहें और साथ में ही काम करें। मित्र का मतलब है कि, वह हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा रहे और उचित सलाह दें। इसे दूसरे शब्दों में एक-दूसरे का शुभचिंतक भी कह सकते हैं। मित्रता के रिश्ते में हमेशा एक दूसरे के हित की कामना की जाती है,साथ ही एक-दूसरे को बेहतर सलाह देकर उस कार्य के सफल होने की कामना करना होता है।
मित्रता,जिसमें हम सिर्फ सुख के समय की कामना नहीं कर सकते हैं,क्योंकि कई बार दु,:ख की घड़ी में भी मित्र हमारी ढाल बन सकते हैं। सच्चा मित्र वही होता है जो दु:ख की घड़ी में ढाल बनकर खड़ा रहे। सच्ची मित्रता करने का कोई उचित समय नहीं होता है,सच्ची मित्रता किसी भी समय किसी भी व्यक्ति के साथ की जा सकती है।
मित्रता में भी अवस्था के अनुसार नए-नए मित्र बनना और अपनी उम्र के मित्र बनना यह अवस्था के अनुसार निर्धारित होता है। उदाहरण के तौर पर बात करें तो कोई भी बालक अपने उम्र के बालकों के साथ मित्रता करना पसंद करेगा। इसके अलावा युवक अपनी उम्र के युवकों के साथ और बुजुर्ग व्यक्ति अपनी उम्र के बुजुर्गों के साथ मित्रता करने में दिलचस्पी दिखाता है। इसके अलावा पुरुष, पुरुषों के साथ और स्त्रियां भी स्त्रियों के साथ मित्रता करना पसंद करते हैं। हालांकि पुरुष और स्त्री भी आपस में बेहतर मित्र साबित हो सकते हैं। इसका उदाहरण-श्रीकृष्ण और द्रोपदी है। श्रीकृष्ण ने द्रोपदी से मित्रता की थी तथा समय आने पर उन्होंने द्रौपदी की लाज भी बचाई थी। श्रीकृष्ण ने ये उदाहरण देकर संसार को ये समझाने की कोशिश की है कि,संसार में केवल पुरुष ही पुरुष से मित्रता नहीं कर सकता है,अपितु पुरुष एवं स्त्री भी घानिष्ठ मित्र हो सकते हैं, जिनमें परिशुद्ध प्रेम वास करता है,व वासना के लिए कोई स्थान नहीं होता है, न ही आकर्षण होता है,सिर्फ दोस्ती ही होती है।
दूसरे शब्दों में मित्र को परिभाषित करते हुए बताया जाए तो उस व्यक्ति को मित्र कहा जा सकता है,जो हर प्रकार के रहस्य,नए कार्य,सुख व दु:ख में हमारे साथ रहे।
मित्रता का मुख्य महत्व होता है कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को खुद के समान और बेहतर तरीके से समझ सके,तथा उसके साथ अपनी मुसीबतों को साझा कर सकें। चाहे सच्चे मित्रों का खून का संबंध ना हो या जातिय संबंध ना हो,लेकिन फिर भी दोनों एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से जुड़े रहते हैं,और यही मित्रता का मुख्य अर्थ है। उदाहरण के तौर पर-कृष्ण और सुदामा,जो मित्रता का सबसे उत्तमोत्तम उदाहरण माना जाता है। श्रीकृष्ण ने संसार को मित्रता का महत्व,उनका मान समझाने के लिए सुदामा के साथ अपनी मित्रता के घटनाक्रम को दर्शाया है। मित्रता में न ही वैभव की असमानता देखी जाती है,न ही जाति,वेश,धर्म की समानता देखी जाती है। सिर्फ एक-दूसरे का लगाव ही महत्व रखता है। हालांकि,कई लोग ईश्वर से भी अपनी मित्रता रखते हैं और अपने दिल की बातें भगवान से बांटते हैं। ऐसा करके भी वह अपने मन को हल्का करते हैं। उन लोगों की ईश्वर के प्रति आस्था ही ईश्वर की मित्रता कहलाती है।
समाज में रहने वाले मनुष्य अपने आसपास के लोगों से मित्रता बनाए रखते हैं,लेकिन संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति से सच्ची मित्रता या प्रेम नहीं हो सकता है। प्रेम केवल उन्हीं से होता है,जिनके विचारों में समानता हो और अच्छी मित्रता के लिए समान आयु वर्ग का होना भी जरूरी है। कई जगह पर समान उद्योग में कार्यरत लोगों में भी बेहतरीन मित्रता देखी गई है।
मित्रता,जीवन के लिए एक अमूल्य रिश्ता माना जाता है। मित्र बनाना सरल कार्य नहीं होता है, हजारों में एक बेहतरीन मित्र को चुनने में काफी कठिनाइयों और मुश्किलें होती है,क्योंकि एक मनुष्य के अंदर कई प्रकार की विशेषताएं होना जरूरी हैं।
एक-मित्र दूसरे मित्र में इतना घुल-मिल जाता है कि दोनों समान रूप से जीवनयापन करना शुरू करते हैं। दोनों की विचारधारा समान होने के कारण उनकी मित्रता प्यार में बदल जाती है।
मित्र बनाना एक प्रकार की कला भी है। जब मित्र एक-दूसरे के प्रति दयालुपन या सहानुभूति दिखाते हैं,तो मित्रता लंबे समय तक चलती है। मित्रता का उद्देश्य साधारण शब्दों में एक दूसरे के लिए समय है,जो सबसे अधिक कीमती होता है वो अर्पण करना होता है। मित्र कितना भी व्यस्त हो,पर जब मित्र पुकारे तो वो भागते हुए उसकी ओर पहुँच जाए,तो इसमें और प्रगाढ़ता आ जाती है।
याद रखिए कि एक झूठा मित्र हमेशा स्वार्थी ही होगा। कई बार ऐसा देखा होगा कि लोग मित्रता के नाम पर अपने काम को करवा कर मुँह फेर लेते हैं,लेकिन ऐसी मित्रता लंबे समय तक नहीं टिकती हैं। अतः सच्चे मित्र की पहचान करना बहुत ही जरूरी होता है। इसके अलावा मित्रता में विश्वास होना बहुत ही जरूरी है। विश्वास नहीं है,तो वह रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल सकता है। यह रिश्ता विश्वास के आधार पर ही टिका हुआ होता है।
नयी एवं पुरानी पीढ़ी की मित्रता में भिन्नता होती है। हमारे पूर्वजों के भी मित्र हुआ करते थे। हमारे इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं,जो मित्रता की मिसाल बने हुए हैं। पुराने समय में मनुष्य आज के समय की तुलना में बेहद ज्यादा एकता के साथ रहते थे। उस समय का मनुष्य हर व्यक्ति पर विश्वास और भरोसा आसानी से कर लेते था और ऐसे में उनकी मित्रता लंबी चलती थी। पुराने समय के लोग धोखा देने से पहले हजार बार सोचते थे,लेकिन आज ऐसा बिल्कुल नहीं है। आज के समय में अच्छा दोस्त मिलना काफी मुश्किल है। हमारे इतिहास में ऐसी ही दोस्ती के कई उदाहरण हैं-महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक के बीच की मित्रता,राम और सुग्रीव की दोस्ती,पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई की दोस्ती आदि। इतिहास में मित्रता की मिसाल खड़ी करने वाले ये उदाहरण आज के समय सही मित्रता का महत्व और अर्थ सिखाते हैं,लेकिन फिर भी आज के समय में मित्रता की परिभाषा को देखा जाए तो यह पूरी बदल चुकी है।
पहले के समय की दोस्ती को हर हाल में निभाने की कोशिश की जाती थी,पर आज के समय की मित्रता बिल्कुल उल्टी हो चुकी है। आज के समय में मुश्किल से चंद महीने ही बेहतर दोस्ती टिक पाती है।
हमें इस रिश्ते में समझने होगा कि,मित्रता एक प्रकार का पवित्र रिश्ता है। इसे कभी भी पैसों में नहीं तोला जा सकता है-
‘बंदिशें नहीं मगर दिशा वो है,
चंद पल ना सही हर दिशा मगर है।
कदम-कदम ठोकरों पर साथ है,
हरदम हर घड़ी वो सात्म्य है।
खंडित हर रिश्ता हो सके मगर,
मित्रता वो जो अखंड है।
मतलब से मिलना ही सब्र में सब,
बेमतलब मिलने मगर बेसब्र वो है।
मुखौटे भीतर असली चेहरा,
जो देख न पाए कोई जीवन सारा।
दोस्ती वो है जो हर मुखौटे से परे है,
पाने को कायनात छूटते रिश्ते सभी,
दोस्ती वो है जो पूरी कायनात है।
छल-कपट का जहाँ तत्व नहीं,
मित्रता वो जहाँ अहसान अस्तित्व नहीं।
मिसाल यहाँ दोस्ती की कायम बहुत है,
श्रीराम-सुग्रीव जिनका इतिहास है।
महाराणा प्रताप-चेतक भी अमर है,
साथ कृष्ण-सुदामा भी चरम-सीमा है॥’

परिचय-अल्पा मेहता का जन्म स्थल राजकोट (गुजरात)है। वर्तमान में राजकोट में ही बसेरा है। इनकी शिक्षा बी.कॉम. है। लेखन में ‘एक एहसास’ उपनाम से पहचान रखने वाली श्रीमती मेहता की लेखन प्रवृत्ति काव्य,वार्ता व आलेख है। आपकी किताब अल्पा ‘एहसास’ प्रकाशित हो चुकी है,तो कई रचना दैनिक अख़बार एवं पत्रिकाओं सहित अंतरजाल पर भी हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ़ टेलेंट रिकॉर्ड सहित मोस्ट संवेदनशील कवियित्री,गोल्ड स्टार बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडि जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि सम्मान आपकी उपलब्धि हैं। आपको गायन का शौक है।

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