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मैं

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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अलसाए हुए से नैनों में
भोर हूँ मैं,
हृदय के तार में बजता
शोर हूँ मैं।

कभी पैरों में बंधी
पायल-सी,
कभी बहती नदी
उस ओर हूँ मैं।

कभी माला में,
मोती-सी।
कभी न टूटने वाली,
डोर हूँ मैं॥

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