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यहाँ लोकतंत्र हर कतरे में

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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साठ बरस शाही परिवार,
नित्य चलाता था सरकार
अब जनमत जीत, उनको चित करना,
एक गरीब, पिछड़े के बस में है…
मगर, लोकतंत्र खतरे में है।

‘हो भारत के टुकड़े इंशाअल्ला’,
गुरु अफजल तो बुरहान लल्ला
याकूब पे विवाद, भगवा है आतंकवाद,
इनके षडयंत्र रचे हर पथ में है…
मगर, लोकतंत्र खतरे में है।

देश की बर्बादी तक रहेगी जंग,
‘वंदे मातरम्’ से एकता होगी भंग
योग तोड़े ताना-बाना, पर गौमाँस है खाना,
जो कहे, वो बुद्धिजीवी वर्ग में है…
मगर, लोकतंत्र खतरे में है।

पत्थरबाजों को मानवाधिकार,
और सेना को निरंतर धिक्कार
बटला की शहादत झूठी, पर इशरत बेटी,
कितने छल-छंद इनके मन में है…
मगर, लोकतंत्र खतरे में है।

नीच, चाय बेच, तू हिमालय जा,
मनोरोगी, डरपोक, हड्डियाँ गला
देश के प्रधान को नित-दिन कहना भी,
आजाद अभिव्यक्ति के हक में है…
मगर, लोकतंत्र खतरे में है।

विकास, सुनीति पर करे मजाक,
पर ना रोकना चाहे ‘तीन तलाक’
जातिवाद की नीति, भ्रष्टाचार ही रीति,
तुष्टिकरण इनकी नस-नस में है…
मगर, लोकतंत्र खतरे में है।

चाहे जितना करो झूठ प्रसार,
करती जनता भी सोच विचार।
नीयत किसकी सच्ची, कहाँ बुद्धि कच्ची,
ये निर्णय जनता के वश में है,
यहाँ, लोकतंत्र हर कतरे में हेै॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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