डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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किताबों की बस्ती है, यही मेरी हस्ती है,
हर इक सफ़र में यहाँ दिल की बस्ती है।
बहुत कुछ हकीकत वहीं कुछ फ़साना है,
हर सतर में इक याद-सी महकती है।
पन्नों पे सजी हैं वो ख़्वाबों सी तहरीरें,
जो दिल के वीराने में चुपचाप हँसती है।
पढ़े हैं यहाँ मैंने कई ग़म के अफसाने,
हमें इन्हीं लफ़्ज़ों में राहत भी मिलती है।
मेरे दिल में बहता है जज़्बों का दरिया,
यही मेरी दुनिया है, यही मेरी हस्ती है।
कभी इश्क़ की बातें कभी अपनों के धोखे,
‘शाहीन’ की धड़कन में तस्वीर सजती है॥