डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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ज़िन्दगी का यह एक वरदान है,
नेह भरी पाती सुख की खान है।
अपनत्व और लगाव का प्रतीक है,
सम्बन्धों को याद करता सटीक है।
सृष्टि में खुशहाली का सुन्दर आहार है,
मानवीय मूल्यों का इसमें संस्कार है।
प्रेम भाव स्नेह और विश्वास संग स्नेहिल उपहार है,
मजबूत इरादों से सना सम्बन्धों का एक व्यवहार है।
पूरानी यादों को तरोताजा कराती है,
मीठी मीठी बातों की सन्देश दे जाती है।
सहिष्णुता और प्यार पर एक पहरा है,
सम्बन्धों के मीठापन पर नहीं रगड़ा है।
आनंदित होकर अपने को यहां यह रूप याद करती है,
यह पाती नहीं, स्नेह और विश्वास की देती अनुभूति है।
यादों को कुरेदते हुए सम्बन्धों को पुनर्जीवित कर देती है,
जीवन संसार में खुशियाँ बिखेरने में हरक्षण मदद करती रहती हैं।
पाती पुराने काल की एक खुशनुमा सच्चाई है,
जीवन में अंतरंग सम्बन्धों की देती दिखती दुहाई है।
सम्पूर्णता संग अपनत्व और लगाव का प्रमाण है,
पाती पूराने काल के सम्बन्धों का सटीक निशान है।
आओ जीवन्त सम्बन्धों को पुनर्जीवित करें हम सब यहां,
पाती के पुराने काल के सौंदर्य को आज़ नया रूप अब दे हम यहां॥
परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।