कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
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शिक्षक समाज का दर्पण…
राह दिखाते हैं गुरु ज्ञान का प्रकाश जलाते हैं,
सपने साकार कराते हैं, गुरु जीवन की सीख बताते हैं।
गुरु ज्ञान का दीप है, गुरु से मिलती सदा हमें सीख,
गुरु बिन कुछ नहीं जीवन में, सबसे बड़ी यह सीख।
सत्य और न्याय के पथ पर चलना,
शिक्षक हमें सिखाते हैं,
जीवन के सही मार्ग पर चलना हमें सिखाते हैं।
संघर्षों से लड़कर जीतना शिक्षक हमें बताते हैं,
ज्ञान का दीप जलाकर अंधकार को दूर भगाते हैं।
गुरु ज्ञान का सागर है, हर अक्षर का ज्ञान कराते,
जीवन क्या है सही मायने में शिक्षक हमें यही सिखाते।
माता-पिता से पहले शिक्षक का नाम आता है,
कदम-कदम पर राह दिखाते, सत्य मार्ग पर चलना सिखाते।
ज्ञान का दीप जलाने वाले गुरु को करते हैं नमन,
जीवन की सच्चाई सिखाने वाले गुरु को शत्-शत् वंदन॥
परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”