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लड़कियाँ व सोशल मीडिया

बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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लड़कियाँ सोशल मीडिया पर हैं,
वो नए युग की एक दस्तक हैं।

लड़कियाँ स्क्रीन की कैद में नहीं हैं,
वे डिजिटल आसमान की उड़ान हैं।

फ़िल्टर की रोशनी में उजाला करती हैं,
तो कभी आँखों का दर्द छलकाती है।

कभी बनतीं किसी की प्रेरणा है,
तो कभी बहस की वो चिंगारी हैं।

लाइक्स और व्यूज़ उनको मिलते हैं,
पर दिल का धड़कता सच सुनतीं हैं।
दिखतीं चाहे रंगीन तस्वीरें हैं,
पर भीतर संघर्षों से जूझतीं हैं।

कभी सेल्फ़ियों में आत्म-आस्था है,
कभी वीडियो में सपने छलकते हैं।

वे सिर्फ़ दिखती नहीं हैं,
वो दिशा भी बदलती जाती हैं।

वो अपनी दृष्टि से चलती हैं,
दुनिया की परिभाषा गढ़ती हैं।

ये लड़कियों की बदलती आवाज़ है,
कभी तस्वीरों में खिलती मुस्कान है।

हर शब्द में छिपा साहस है,
पर भावना वही पुरातन तप है।

यहाँ नव-युग की वो रचनाकार हैं,
जहाँ कलम डिजिटल हो जाती है।

हर पोस्ट में एक कहानी है,
हर स्टोरी में एक सपना है।

लड़कियाँ अब तस्वीर भर नहीं,
वो अपनी आवाज़ का उजाला हैं,

वे चलतीं नहीं… दिशाएँ रचतीं हैं।
अपनी छवि नहीं, अपना सत्य गढ़तीं हैं।

कभी मुस्कान से जग को छूती हैं,
कभी सवालों से हिला डालती हैं।

कभी किताबों में ख़ुशबू लाती हैं,
कभी हक़ की बातें जोड़ती हैं।

फीड पर उनकी सोच चमकती है,
रील में उनके सपने दौड़ते हैं।

ट्रोलों से वह टकराती हैं,
दिल में साहस की आग है।

कभी कला, कभी व्यंग्य बन जाती हैं,
कभी शेरों-ग़ज़लों की धुन में खो जाती हैं॥