प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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वजन बढ़ जाए तो भजन घट जाए।
खा-खा के सो-सो के कौन प्रभु पाए॥
अल्प भोज व संयम भजन को बढ़ाए,
अल्पनिद्रा नाम जपन से प्रभु को पाए।
जनमों की नींद भूख से नहीं अघाए,
वजन बढ़ जाए…॥
ये शरीर हवन-कुंड कम समिधा डालो,
एकाग्र सजग होके भजन को बचा लो।
भजन लोक और परलोक को बचाए,
वजन बढ़ जाए…॥
भजन लगे विष जैसा परिणाम अमृत,
भोग लगे सुधा जैसा परिणाम विकृत।
क्यों ना उठ भोर मधुर प्रभु नाम गाए,
वजन बढ़ जाए…॥
दिन भर में ६० मिनट बस प्रभु का हो जा,
चिंता की चिता सजा, बस प्रभु का हो जा।
प्रभु नाम मन से माया-मोह को मिटाए,
वजन बढ़ जाए…॥
जीवन में भक्ति-भजन है बड़ी कसौटी,
बहुत कठिन करना है भोग में कटौती।
बिना नाम भजन भव से तू तर न पाए,
वजन बढ़ जाए…॥
सब सुखों में प्रभु नाम जपना कठिन है,
सब दुःखों में प्रभु नाम जपना कठिन है।
फिर कैसे, कब नाम हिरदय समाए,
वजन बढ़ जाए…॥
छिपा-छिपा भजन करें ज्ञानी परमार्थी,
दिखा-दिखा भजन करें अज्ञानी स्वार्थी।
बिरले भाग उसके जो प्रभु गुण को गाए,
वजन बढ़ जाए…॥
काम, क्रोध, मद, मोह, मत्सर के डाकू,
लूट लें न भजन तेरा दिखा माया चाकू।
भूल से न भजन का खजाना लूट जाए,
वजन बढ़ जाए तो भजन घट जाए।
खा-खा के सो-सो के कौन प्रभु पाए…॥