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शिक्षक एवं चिकित्सक का फर्ज

पवन गौतम ‘बमूलिया’
बाराँ (राजस्थान)
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शिक्षक दिवस विशेष………

कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक व चिकित्सक महोदय से क्षमा माँगते हुए

मत कर फर्ज से गद्दारी,
मत कर कर्म से मक्कारी।
बड़ी मन्नतों से मिलती है,
ऐसी सर्विस प्यारी…।

मत कर फर्ज से गद्दारी,
मत कर कर्म से मक्कारी।

अपने शाला के बच्चों को गुरुवर,
मन से खूब पढ़ाना।
अपने बच्चों के जैसे ही,
उनको गले लगाना।

ये नन्हें-मुन्ने बालक ही,
है भविष्य हमारे।
इन गरीब मासूमों से,
पलते मासूम तुम्हारे॥

करना शिक्षक बनकर ऐसा,
हो जयकार तुम्हारी…

मत कर फर्ज से गद्दारी,
मत कर कर्म से मक्कारी॥

शिक्षक और चिकित्सक का है,
फर्ज जरा-सा दूजा।
सब तो पेट भराऊ धन्धे,
ये है प्रभु की पूजा॥

एक फर्ज जीवन को बनाता,
दूजा जीवन बचाए।
जब करते मानवता सेवा,
ये भगवान कहाए॥

जैसी करनी वैसी भरनी,
प्रतिध्वनि दुनिया सारी…॥

मत कर फर्ज से गद्दारी,
मत कर कर्म से मक्कारी॥

विद्या दान की बात दूर,
हाँ! मनमानी कर जाते।
और चिकित्सक की छोड़ो,
गुर्दे तक बेचे जाते॥

शिक्षक और चिकित्सक दोनों,
राष्ट्र निर्माण कराते।
दोनों की जन-जन सेवा से,
पथ प्रशस्त हो जाते॥

शिक्षा और चिकित्सा में,
हो ना अब लाचारी…।

मत कर फर्ज से गद्दारी,
मत कर कर्म से मक्कारी॥

बड़ी मन्नतों से मिलती है,
ऐसी सर्विस प्यारी।

मत कर फर्ज से गद्दारी,
मत कर कर्म से मक्कारी॥

यहाँ करोगे वहाँ भरोगे,
हो आगे की तैयारी…।

मत कर फर्ज से गद्दारी,
मत कर कर्म से मक्कारी॥

परिचय –पवन कुमार गौतम का साहित्यिक उपनाम-बमूलिया है। जन्म तारीख ३ जुलाई १९७५ एवं जन्म स्थान-बमूलिया कलाँ जिला बाराँ (राजस्थान)है। वर्तमान में बमूलिया कलाँ तहसील अन्ता जिला बाराँ में ही निवास है। स्थाई पता भी यही है। शिक्षा स्नातकोत्तर (अंग्रेजी, हिंदी, राजस्थानी साहित्य, संस्कृत साहित्य,दर्शन शास्त्र,समाज शास्त्र और राजनीति विज्ञान)एवं शिक्षा स्नातक (बी.एड.)है। कार्यक्षेत्र-अध्यापन का है। श्री गौतम सामाजिक कार्य के अन्तर्गत  समयानुसार यथासक्ति कार्यों में मदद करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, गीत, छन्द, मुक्तक, रूबाई, ग़ज़ल, सजल, गीतिका,नज़्म तथा कव्वाली है। ओज रस की कविताओं का काव्य संकलन प्रकाशाधीन है,तो अनेक पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन जारी है। आपको विद्यालय एवं विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों सहित कोटा शैक्षणिक मंच तथा साहित्यिक मंचों से भी सम्मानित किया गया है। विशेष उपलब्धि में संगीत- गायन विधा में पारंगत होना है। आप वैदिक संस्कृत,पांडित्य एवं ज्योतिष में अध्ययनरत हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-स्वान्त सुखाय एवं परम चेतना की अनुभूति के साथ ही प्रकृति के साथ सामन्जस्य स्धापित करना व मानवीय मूल्यों के महत्व का प्रतिपादन है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-माता श्रीमती शांति बाई गौतम और पिता बृजमोहन गौतम सहित विष्णु विश्वास दाधीच(कवि-गीतकार), साहित्यिक गुरू स्व. गिरिधारीलाल मालव (हाड़ौती के प्रेमचन्द) एवं धर्म पत्नी सुनीता पंचोली है। इनकी विशेषज्ञता आशु काव्य वाचन व लेखन में है।