लोकार्पण…
पटना (बिहार)।
समृद्ध काव्य कल्पनाएँ कविता का श्रृंगार करती है। यही कवि की शक्ति भी है। श्रृंगार से कविता रूपवती होती है। कविता का सौंदर्य ही पाठकों को आकर्षित करता है। इसी लिए काव्य-शास्त्र में अलंकार, प्रतीक, शब्द-संयोजन, छंद और काव्य-कल्पनाओं पर बल दिया गया है। पुस्तक का शीर्षक ही इनकी कवित्त-शक्ति का परिचय दे रहा है। कवि ने इस संग्रह के शिखर से उड़ान भरने की चेष्टा की है।
यह बात शुक्रवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में कवि सिद्धेश्वर के काव्य संकलन ‘शब्द हुए पंख’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। सम्मेलन के साहित्य मंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि सिद्धेश्वर जी एक ऐसे कवि हैं, जिनकी सृजनशीलता अनवरत बनी हुई है। ‘शब्द हुए पंख’ आज के समाज की छटपटाहट है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. किशोर सिन्हा ने कहा कि सिद्धेश्वर की क्षणिकाएँ अनेक प्रश्न उठाती हैं। यह संतोष की बात है कि कवि की रचनाओं के मूल में निराशा नहीं, आशावाद है।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. शशि भूषण सिंह, डॉ. ऋचा वर्मा, इन्दु उपाध्याय और बाँके बिहारी साव आदि ने भी विचार व्यक्त किए।