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संदेश, संकल्प और समर्पण

मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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१५ अगस्त विशेष….

चलो मनाएँ यह दिन सुहाना,
खुशियों का जिसमें आना-जाना।

स्वर्णिम है यह क्षण आज का,
विस्मरणीय संदेश उल्लास का।

क्या बच्चे, क्या वृद्ध हैं यहाँ,
पल-पल बढ़ता उत्साह हो जहाँ।

इस देश का नाम तो ‘भारत’ है,
जो विश्व में सभी का सहायक है।

कहता है यह आज सुनो,
ग़लत-सही के भेद चुनो।

साथ दो तो सत्य का,
संघर्ष करो अपने हक का।

‘आज़ादी’ केवल शब्द नहीं है,
मुफ्त में मिली कोई भीख नहीं है।

संकल्प है यह सदियों का,
नई-नई उपलब्धियों का।

जो आज़ाद मन की लड़ाई है,
कई सालों से चली आई है।

न जाने यह किस ओर ले आई है,
क्योंकि बात यहाँ परिवर्तन की आई है॥