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सब मिलकर बढ़ो

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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चलो साथ सब मिलकर,
आगे बढ़ो सब साथ मिलकर
कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ो,
सब साथ साथ मिलकर।
चलो साथ सब मिलकर…

राही मंजिल बड़ी दूर है,
पर तू हारेगा नहीं आगे बढ़
हार-जीत पैमाना नहीं ज़िन्दगी का,
कभी दुखों का भँवर घेरेगा तुझको
कभी सुखों की लालिमा सतरंगी छटा बिखेरेगी।
चलो साथ सब मिलकर…

रोने से कुछ नहीं होगा,
हँसते रहो मुस्कुराते रहो
जीवन को जीना सीखो,
चलो साथ सब मिलकर…।

आपस में मैत्री भाव सबमें हो,
नहीं बैर भाव रखें किसी से
राग-द्वेष से दूर रहें हम सभी।
स्नेह वात्सल्य भाव हमेशा रखें,
चलो साथ सब मिलकर…॥