जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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हुआ सूर्योदय-हुआ सवेरा,
पूरब दिशा छाई लाली।
प्रकृति में मची हुई हलचल,
गायब हुई रजनी काली॥
चेतन में चेतना आई,
हुए जागृत प्राणी सारे।
खान-पान के लिए जा रहे,
दिनचर्या अनुसार सकारे॥
बगिया में सुमन खिले हैं,
भौरों का गुनगुन गान।
चिड़िया ने चहक मचाई,
कोयल ने उचेरी तान॥
सभी निकले काम करने,
बाल विद्यालय जाने को।
व्यापारी दुकान खोलते,
श्रमिक चले कमाने को॥
सुनहली किरणें सुहानी,
लगता गगन सुहाना।
बाल रवि दिखता मनोरम,
सबने ही अच्छा माना॥
सुबह का सुंदर नजारा,
मनमोहक लगता है।
सूर्योदय के साथ ही सब,
हर प्राणी उठ जगता है॥