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क्या जमाना था

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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दिल खुशी से झूम उठता है सखी,बीती बचपन की बातों से,
वो भी क्या जमाना था,याद करती हूँ,हँसी आती उन यादों से।

वो भी क्या जमाना था,मैं खेली थी गुड्डों-गुड़िया से,
कैसे बीता वह जमाना,सब याद है मुझको बढ़िया से।

वो भी क्या जमाना था,सावन में सखी झूला झूलती थी,
अपने पीहर,सासरा की बातें,सब सखी किया करती थी।

सुनो,सुनाती हूँ सबको सखी,जो बीत गया वो जमाना,
हम भारतीय संकट में थे,भारत पे दुश्मन का था निशाना।

वो भी क्या जमाना था,जब मनु कर्णिका जन्मी थी,
सौभाग्य हुआ देश का,जब झाँसी में ब्याही गई थी।

वो भी क्या जमाना था,भारतीय गुलामी जीवन जीते थे,
कुछ नहीं था अपने बस में,कौड़े की मार सब सहते थे।

याद आती है तुम्हें सखी,भारतीय अजादी को तरसते थे,
वह भी एक जमाना था,जब गैरों के शासन में रहते थे॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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