सोनीपत (हरियाणा)।
इस बार कल्पकथा साहित्य संस्था की २२७वीं साप्ताहिक काव्य गोष्ठी का मंच ‘दीवाली’ को ‘यूनेस्को’ द्वारा अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किए जाने के गौरव से जगमगाया। अनेक रचनाकारों ने गरिमामय काव्य रचनाओं से वातावरण को ऊर्जान्वित किया।
परिवार की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि
प्रभु श्री राधा गोपीनाथ जी महाराज की कृपा से संचालित संस्था के इस आयोजन में वाराणसी के पं. अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ ने अध्यक्षता की, जिसमें देशभर के प्रबुद्ध साहित्य विभूतियों की सहभागिता रही। मुख्य अतिथि के पद को जबलपुर से श्रीमती ज्योति प्यासी ने बखूबी सम्हाला।
भास्कर सिंह ‘माणिक’ के मंच संचालन में ४ घंटे से अधिक समय तक स्पंदित इस आयोजन का शुभारंभ नागपुर के वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा संगीतमय गुरु वंदना, गणेश वंदना, सरस्वती वंदना के साथ किया गया।
गोष्ठी में हेमचंद्र सकलानी, डॉ. अंजू सेमवाल, सुनील कुमार खुराना, आनंदी नौटियाल अमृता, डॉ. श्याम बिहारी मिश्र, अमित पण्डा, दिनेश दुबे, प्रमोद झा, डॉ. मंजू शकुन खरे, रजनी कटारे हेम, सुजीत कुमार पाण्डेय, विजय कुमार शर्मा, राधाश्री शर्मा, पवनेश मिश्र आदि ने गरिमामय काव्य रचनाओं से वातावरण को ऊर्जान्वित किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में ‘मधुप’ ने कहा कि सनातन संस्कृति वैज्ञानिक परंपराओं, समावेशी विचारधारा, और मानवीय मूल्यों की सजग पैरोकार है। श्रीमती प्यासी ने सहभागी साहित्यकारों और उनकी रचनाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘यूनेस्को’ द्वारा लिया गया यह निर्णय भारतवर्ष के विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित होने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। अंत में ‘वन्दे मातरम्’ के १५०वें स्मरणोत्सव वर्ष में अमर बलिदानियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और राष्ट्रप्रेमी जनों के सम्मान में राष्ट्र गीत का गायन हुआ।
श्रीमती राधाश्री शर्मा ने सभी को धन्यवाद किया।