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हमें विनाश दिखा

इं. हिमांशु बडोनी
पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
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जिस दिशा में नफ़रत फैली थी, वहां हमें विनाश दिखा,
सगे भाई विमुख बैठे थे, सुलह का कहीं न प्रयास दिखा।

सामग्रियाँ जो असंजित हों, दरारें पड़ जाती हैं इमारत में,
सत्ता के पीछे हो वंश का अंत, है सार यही महाभारत में।
मोह, लोभ व ईर्ष्या भाव के धागों से बुना इक पाश दिखा,
जिस दिशा में नफ़रत फैली थी, वहां हमें विनाश दिखा…॥

संपूर्णता से ही अखंडता मिलती, है यही एकता का बल,
बिन इनके सब तिनके बिखरें, कोई निर्माण न रहे सकल।
व्यूह से पृथक होते युग में, कोप से भरा वनवास दिखा,
जिस दिशा में नफ़रत फैली थी, वहां हमें विनाश दिखा…॥

नियति के न्याय से लिखा अध्याय, ख़ूब पढ़ा रामायण में,
मर्यादा से ही पुरुष उत्तम बनें, सबने देखा धर्मपरायण में।
वरदान के पीछे छिपी मंशा से, राजवंश का नाश दिखा,
जिस दिशा में नफ़रत फैली थी, वहां हमें विनाश दिखा…॥

इस कलयुग की परिधि में, अधर्म सर्वस्व बड़ा होता है,
चाहे युग परिवर्तित हों, धर्म स्थिर होकर खड़ा होता है।
तभी हमें कृत्य से पूर्व, भविष्य में भगवन निवास दिखा,
जिस दिशा में नफ़रत फैली थी, वहां हमें विनाश दिखा…॥

परिचय –इं. हिमांशु बडोनी की जन्मभूमि जिला पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड) है। २५ जून १९९४ को जन्म लेने वाले हिमांशु बडोनी ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा व बी. टेक. की शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु अध्ययनरत हैं। इनकी साहित्यिक यात्रा देखें तो मुख्यत: काव्य रचते हैं। २०११ से लेखन प्रारंभ करते हुए करीब १२० रचनाएं लिखी हैं। उपलब्धि एवं सम्मान के रूप में ‘हिन्दी गौरव सम्मान- २०२२’, ‘ब्रज गौरव अवार्ड-२०२३’, ‘विश्व हिंदी रत्न सम्मान-२०२३’ व राष्ट्रीय स्वर्णाक्षर सम्मान-२०२२’ आदि से पुरस्कृत हुए हैं। साहित्य सहभागिता के नाते विभिन्न अवसरों पर काव्य गोष्ठी व सम्मेलनों में सक्रिय भागीदारी करते हैं। कई समाचार पत्रों व स्थानीय पत्रिकाओं में भी २०१७ से रचनाओं का प्रकाशन जारी है। विभिन्न साहित्यिक समूहों से सक्रियता से जुड़े हुए हैं और सहभागिता जारी है।

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