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हाथों का करिश्मा

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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दो हाथों का करिश्मा, जाने सकल जहान।
जैसे भी वर्णन करो, इसका नहीं बखान॥
इसका नहीं बखान, करिश्मे करती ज़्यादा।
नारी करती पूर्ण, अगर वह करती वादा॥
घर बन जाए स्वर्ग, असर उसकी बातों का।
रखती सबका ध्यान, साथ उन दो हाथों का॥