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हिन्दी के चलते-फिरते विश्वविद्यालय थे मनीषी पं. चतुर्वेदी

जयंती-कवि सम्मेलन…

पटना (बिहार)।

आधुनिक हिन्दी की प्रथम पीढ़ी के महान कवियों और भाषाविद विद्वानों में अग्र पांक्तेय मनीषी पं. जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रथम सभापति थे। हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन में उनका अप्रतिम योगदान था। वे हिन्दी के एक चलते-फिरते विश्वविद्यालय थे। उनके सान्निध्य में आनेवाला व्यक्ति साहित्य का कुछ नया सीख कर ही जाता था।
शुक्रवार को साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती और कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने यह बात कही।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. मधु वर्मा, विभारानी श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर हुए कवि सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। शायरा शमा कौसर ‘शमा’, डॉ. ओमप्रकाश पाण्डेय ‘बदनाम’, कुमार अनुपम, डॉ. रेणु मिश्रा, सदानन्द प्रसाद व नीता सहाय ने भी रचनाओं का पाठ किया। मंच संचालन कवि ब्रह्मानन्द पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।