सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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आज मैं अपने हृदय के भाव को
नयी कविता में समाहित कर रही,
आज मैं अविराम गति आगे बढ़ने का कठिन व्रत अपने मन में धर रही।
आज स्वेच्छा से वरण कर आत्म अनुशासन नियम का पाठ मैं पढ़ रही,
आज स्व का आदर करने का अभ्यास शुरू कर रही
आज से क्रोध न करने का प्रयास कर रही।
आज से सदा दूसरों के गुण और, अपने अवगुण देखना प्रारंभ कर रही।
आज से परोपकार का एक दीया मैं ज्योतित कर रही,
आज से प्रभु नाम का अविराम सुमिरन कर रही॥