सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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हे भारत माँ उच्चारित नाम
मैं नत मस्तक करती प्रणाम,
पुरूष पुरातन नवल शिष्ट
सैनिक शोभित कर्तव्य-निष्ठ
आराधित पूजित श्री ललाम
मैं नत मस्तक करती प्रणाम।
हिम-मुकुट सुशोभित तेज़ धार
गल पहने गंगा-जमुन हार,
है यहीं बसा साकेत धाम
मैं नत मस्तक करती प्रणाम।
रवि-शशि बरसाते नवल नेह
पशु-जीवी कृषि-प्रधान गेह, सुने देव आरती सुबह-शाम
मैं नत मस्तक करती प्रणाम।
यह शिव सत्यं सुंदरं देश,
मानव संस्कृत पूजित महेश।
मंगलमय होते सकल काम,
मैं नत मस्तक करती प्रणाम॥