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ना बाबा हम तेरी गलियाँ…

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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ना बाबा हम तेरी गलियाँ,
लौट कभी ना आएंगे।
भेड़िए बैठे डीठि लगाए,
हमें नोच ओ खाएंगे।

बाबा पहले वादा कर लो,
कहीं घिर हम जाएंगे।
थाली छोड़कर कृष्णमुरारी,
क्या हमें हमें बचाने आएंगे ?

बिटिया सुन लो बात हमारी,
तुम्हें ना कभी बिसराएंगे।
विनती तुम्हारी सुनें मुरारी,
अब वे भी ना देर लगाएंगे।

तुम बिन आँगन सूना लागे,
हम भी नहीं जी पाएंगे।
माफ़ करना हमें हे बेटी,
भेड़ियों को सज़ा दिलाएंगे।

बाबा मैं तो हूँ ही पराई,
क्या आप हमें अपनाएंगे।
ले लूँ रुप काली का मैं तो,
क्या आप भी साथ निभाएंगे।

सारे जीवन की खुशियाँ बेटी,
हम तुम पर ही तो लुटाएंगे।
तेरे जीवनदान की खातिर,
हम अपनी जान लुटाएंगे।

आओ-आओ बिटिया रानी,
हम घर को स्वर्ग बनाएंगे।
दया प्रेम सहयोग की भावना,
हर बच्चे में हम जगाएंगे।

नैतिकता जब घर में मिलेगी,
तब सभी आदर्श बन जाएंगे।
नारी सम्मान जब माँ से मिलेगा,
तब सभी रखवाला बन जाएंगे।

कहे ‘उमेश’ तुम ही खुशी हो,
अर्चना से तुम्हें बुलाएंगे।
तुम्हे हँसते देखे बिना हम तो,
धरा पर जी नहीं पाएंगे॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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