कुल पृष्ठ दर्शन : 247

सफलता की कुंजी

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

******************************************************************

निकला सोना आग से,
रूप बदलता जाए…
ज्यों-ज्यों उस पर चोट पड़े,
और सुंदर हो जाए।

बालक कहे कुम्हार से,
कैसी मूरत दियो बनाए…
जिस मिट्टी को रौंदा तूने,
उन पर सबने शीश झुकाए।

गिर-गिर के उठने वालों का,
अंदाज अलग होता है…
जो दूसरों पे गिरे,
वो बर्बाद भी होता है।

सौन्दर्य पलकों पे नहीं,
दिलों पे राज करता है…
घमण्ड तो मानव को,
अपनों से दूर करता है।

सफलता यूँ ही नहीं मिलती,
कर्म तो करना पड़ता है…
जलती अग्नि में तप कर,
लक्ष्य तक पहुँचना पड़ता हैll

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

Leave a Reply