गरिमा पंत
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
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बिटिया जब बड़ी होती है,
हर माता-पिता कन्यादान करते हैं
कितनी पीड़ा होती है उनको,
जिसको पाल-पोस कर बड़ा किया
उसे दूसरे के हाथ सौंपता है।
कन्यादान का कर्ज,
कोई नहीं उतार सकता
बेटी को खुशियां देकर,
मन कितना हल्का हो जाता है।
अपने घर का चिराग देकर,
दूसरे के घर में उजाला करते हैं
कितना विशाल हृदय होगा उनका,
जो इस पीड़ा को दिखा ना पाते हैं।
कन्यादान जिसने नहीं किया,
वह इस दर्द को क्या जाने!
सौभाग्यशाली होते हैं वह माता-पिता,
जो कन्यादान का सुख पाते हैंll
परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।