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रोज़-रोज़ हो रहीं खोखली ईमां की बुनियादें-प्रो. खरे

ऑनलाइन काव्य गोष्ठी………..

मंडला(मप्र)।

अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन(भोपाल) के तत्वावधान में प्रो.शरद नारायण खरे (प्राचार्य,मंडला)की अध्यक्षता में ऑनलाइन कवि सम्मेलन हुआ। इसमें ‘रोज़-रोज़ हो रहीं खोखली ईमां की बुनियादें’ सुना कर प्रो. खरे ने रंग जमा दिया।
इस सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि उदय किरौला और मुख्य अतिथि चंद्रप्रकाश दिवेदी (एटा) की उपस्थिति में डॉ. जयजयराम आनंद ने स्वागत किया। कवियों में नारायण सिंह मौर्य (रायपुर) ने सस्वर लोक गीत सुनाया। डाॅ वि. प्र. सिंह (अहमदाबाद) ने एक शाम गवई की ओर सबका ध्यान खींचा।उसके बाद डाॅ. मोहन तिवारी आनंद ने दो बालगीत पढ़े। संचालक ने किशोर गीत पेश किया तो उदय किरौला ने विश्वव्यापी समस्या ‘कोरोना’ पर कविता रखी। सुरेश तन्मय ने भी प्रस्तुति दी ।
काव्य पाठ पूरा हुआ तो संचालक ने सम्मान पूर्वक कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. खरे को काव्य पाठ व अध्यक्षीय उदबोधन के लिए आमंत्रित किया। उनके स्वागत में तालियाँ बज उठीं।उन्होंने सभी की रचनाओं की सराहना करते हुए कार्यक्रम को सफल बताया और बेहतरीन गीत सस्वर सुनाया-‘किससे करने जाएं हम अब,निज दिल की फरियादें,रोज़ाना हो रहीं खोखली,ईमां की बुनियादें। कौन सुनेगा किसे सुनाएं,यहां सभी बहरे हैं,अपनों ने जो सौंपे हैं वो घाव बहुत गहरे हैं।” इसकी सबने भूरि-भूरि सराहना की। डाॅ. तिवारी ने सबको धन्यवाद दिया।

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