प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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चूस-चूस कर फूलों का रस,मधुमक्खी शहद बनाती है,
दादा-दादी उसी तरह,संयुक्त परिवार बनाते हैं।
बच्चों की किलकारी,दादा-दादी का प्यार,
ऐसे ही मधुर है,मेरा संयुक्त परिवार।
ताऊ जी की कहानी,चाचा जी का दुलार,
मीठे-मीठे शहद की तरह,हैं हमारा परिवार।
सब मिलकर साथ रहते,करते हँसी-ठिठोली,
छोटे-छोटे बच्चों की,मीठी लगती है बोली।
एकांकी जीवन में रह कर,बच्चे आज कल भूल रहे,
अपनी धुन में मगन हो गए,किसी की नहीं सुन रहे।
संयुक्त परिवार कहां है पाते,नहीं मिलता सबका साथ,
जिंदगी जीने की चाह में,भूल गए हैं बढ़ाना हाथll