हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष…..

दीपों का त्योहार मना लें,
मिल-जुल के सब दीप जला लें।
देवी लक्ष्मी माता सुखों की,
दे आशीष वो श्रद्धा जगा लेंl
दीपों का त्योहार…ll
धनतेरस और दीवाली में,
जीवन के अंधियारे मिटते।
सीताराम अयोध्या लौटे,
मानवता को विजय दिला के।
कोई दीन-दुखी ना छूटे,
हर मन खुश हो दीवाली में।
दीपों का त्योहार मना लें,
मिल-जुल के सब दीप जला लें।
दीपों का त्योहार…ll
साफ-सफाई घरों की होगी,
आरती लक्ष्मी माँ की होगी।
मेवे,फल,मीठा,धन-वैभव,
हर घर में खुशहाली होगी।
दीप जला कर रौशन कर दें,
हर घर आँगन इस धरती के।
अपनी धरती चमके जैसे,
अम्बर चमके है तारों से।
आओ हम सब दीप जला कर,
मोती-सा हर कण चमका लें।
दीपों का त्योहार…ll
परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।