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मन का मैल

कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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मन का मैल धुला नहीं,
उबटन लगाए क्या फायदा…
आँखों में नफरत की कालिख बटोरे,
मुख से मीठे बोल बोलने,
दिल के भेद न छुप पाएंगे,
यूँ दुनिया के सामने…प्यार दिखाने से क्या फायदा।
अँधेरे में जीते हुए कट रही जिन्दगी हो,
नफरतों से जल रही हो वक्त की हर घड़ी।
तो दीवाली हो या हो,कोई और उत्सव,
फिर दीप जलाने से क्या फायदा!!