डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……….
‘जनता का,जनता द्वारा,जनता के लिए है शासन’
यही है हमारा कड़ा अनुशासन।
यह है हमारा लोकतंत्र,
हमारा मजबूत है गणतंत्र।
संविधान लागू हुआ था २६ जनवरी उन्नीसवीं सौ पचास,
हमारे संविधान ने नहीं किया किसी को निराश।
अपराधी इससे कांपते हैं,
बदमाश अपना रास्ता नापते हैं।
देश के वीरों का है यह बलिदान,
स्वतंत्र भारत को उन्होंने किया हमें प्रदान।
देश प्रेम और राष्ट्र हित में हमें कार्य करना है,
अपने देश को शक्तिशाली और समृद्ध बनाना है।
गौरवशाली भारतीय परम्परा को मिटने नहीं देना है,
भारत के संविधान का हर हालत में पालन करना है।
आतंकवाद और नक्सलवाद को जड़ से मिटाना है,
हर हाल में देश में राम राज्य लाना है।
देश के वीरों का बलिदान व्यर्थ न जाएगा,
एक दिन पूरा भारत नव प्रकाश से जगमगाएगा॥
परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।