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जल है शाश्वत जीवन

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

जल से है प्रकृति में यौवन,
जल से ही प्यारे सुंदर वन
जल के बिना न संभव जीवन,
जल जीवन है शाश्वत जीवन।

पानी का कोई रंग ना रूप,
हर आकार में ढल जाता है।
प्यास बुझाता है तन-मन की,
द्रव्य है,सबमें घुल जाता है।
है पृथ्वी का अनमोल रतन,
जल जीवन है शाश्वत जीवन…॥

वारि को न व्यर्थ बहाओ,
कीमत इसकी समझो,समझाओ।
नादां बन न हँसी उड़ाओ,
अभी वक्त है संभल भी जाओ।
बूंद-बूंद का हो संरक्षण,
जल जीवन है शाश्वत जीवन…॥

पृथ्वी की हरियाली जल से,
तृषित कृषक की आस है जल से।
बादल भी हैं बनते जल से,
जीवन की बुनियाद है जल से।
जल से बाग-बगीचे उपवन,
जल जीवन है शाश्वत जीवन…॥

जल से हैं अन्न और फल,
जल से ही नदियों में कल-कल।
पंचतत्व में एक तत्व जल,
जल ना हो,न होगा कल।
पौधे लगा करें जल संवर्धन,
जल जीवन है शाश्वत जीवन…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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