सुलगे प्रीत उमंग
बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)****************************************** श्रंगार रस.... तन भीगा बरसात में,सुलगे प्रीत उमंग।सजनी तेरी चाह में,हिय में उठे तरंग॥ शीतल पुरवाई चले,रिमझिम गिरे फुहार।याद बहुत आई प्रिये,पायल की झनकार॥ ठिठुरन-सी है देह में,छन्द…