नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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दुःखी देख द्रवित हो जाते,
आगे बढ़ के साथ निभाते
ऐसे लोगों का है वंदन-
आभार सहित…अभिनंदन।
आकुल हों जब पीड़ित-परिजन,
राह न सूझे,पास भी न धन
ऐसे में भगवान बन आते
मानवता की रस्म निभाते।
करें मदद,दें अमृतमय क्षण,
ऐसे लोगों का है वंदन॥
ठगी,लूट की काली छाया,
चहूँ ओर पैसों की माया
ऐसे में कुछ लोग भी ऐसे,
न यश चाहें,न ही पैसे।
पोंछें वे पीड़ित-अश्रु कण,
ऐसे लोगों का है वंदन॥
ऐसे लोग अगर ना होते,
निर्ममता को कैसे ढोते
ऐसे लोग बचाते दुनिया,
फूल बनें,महकाते दुनिया।
ये हीरे,मोती हैं,चंदन,
ऐसे लोगों का है वंदन।
आभार सहित…अभिनंदन॥