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मन का दर्पण

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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मन का दर्पण साफ रख,खड़ा हुआ है आज।
सच्चाई का सामना,पूरा करते काज॥

नारी का श्रृंगार है,सजती है दिन-रात।
बैठ पिया के सामने,करती मीठी बात॥

मन के अंदर मैल है,मुखड़ा यूँ चमकाय।
मीठी-मीठी बात से,मन को बहुत लुभाय॥

दर्पण से खेले नहीं,आती गहरी चोट।
रख सच्चाई सामने,मन में जितना खोट॥

मन के अंदर झाँक कर,खुद ही देखो आप।
कर्म करो अच्छे सभी,मिट जाएगा पाप॥